सिद्धेश्वर महादेव का मंदिर धार्मिक एवं भक्ति पारखियों के लिये कौतूहल का विषय बना हुआ है।


छत्तीसगढ़


सिद्धेश्वर महादेव का मंदिर धार्मिक एवं भक्ति पारखियों के लिये कौतूहल का विषय बना हुआ है। यहाँ की भौगोलिक स्थिति, मंदिर एवं अलौकिक जीवन के विविध विषयों एवं शिव वरदान के रूप में सम्पूर्ण जीवन व क्षेत्र को साक्षात् अभिराम प्रस्तुति ही कौतूहल का मूल कारण है। जिसे आज सिद्धेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है। सिद्धेश्वर महादेव का मंदिर क्षेत्र की संस्कृति के प्रतीक भगवान शंकर की अर्चना तथा जगत प्रतिष्ठा का एक महत्वपूर्ण मंदिर तो है ही, साथ ही अपनी विशालता एवं वैभव के कारण धार्मिकता की एक पराकाष्ठा भी है, हिन्दू संस्कृति का महाविभूति है।

सिद्धेश्वर महादेव ग्राम जारा, तहसील पलारी, बलौदाबाजार में स्थित है। सिद्धेश्वर महादेव धरती मां के गर्भ से निकलकर शिवलिंग अवतरित हुआ, भगवान शिव की महिमा अपरम्पार है. प्रकटित शिवलिंग के बारे में वैसे सही-सही बता पाना मुश्किल है। किन्तु जैसे प्रचलित हैं, उस आधार पर शिवलिंग, खाद बनाने के गड्ढे में, जिसे ग्रामीण लोग "घुरवा" कहते हैं, में खुदाई करते समय मिला। शिवलिंग को कई बार कोशिश के बाद भी उस जगह से नहीं हटाया जा सका, तब घुरवा (कचरा फेंकने का स्थान) में ही भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते अस्थाई सुरक्षा कर दिया गया। उक्त शिवलिंग की ऊंचाई करीब दो फीट थी, जो बीचों बीच दरार पड़ गई थी. शिवलिंग दो भागों में विभक्त होकर भी आस्था व श्रद्धा का केंन्द्र बन गया। दरार में उंगलिया चली जाती थी, वह दरार जमीन तक दिखाई देती थी, कालांतर में दरार भर गई है।  यह भगवान शिव की महिमा और चमत्कार ही है, जो ऐसा संभव हो पाया। सिद्धेश्वर महादेव के प्रति क्षेत्रवासियों का बहुत ही असीम श्रध्दा और आस्था है। भक्तगण अपनी मनोकामना को लेकर दर्शन करने पहुंचते हैं, मनोकामना की पूर्ति होने पर अपनी इच्छानुसार चढ़ावा भी चढ़ाते हैं। सिद्धेश्वर महादेव की महिमा अपरम्पार है, जिसने भी भक्तति भावना से पूजा- अर्चना की उनकी मनोकामनाएं पूर्ण हुई हैं।