जगदलपुर, 4 मार्च (हि.स.)। जिला मुख्यालय में शुरू हुए ऐतिहासिक फागुन मंडई (मेला) के चौथी पालकी को निकाली गई। देवी दंतेश्वरी व भुवनेश्वरी माता की पालकियां शक्तिपीठ से मंगलवार शाम को निकलकर नारायण मंदिर रवाना हुईं। बाजे-गाजे व पारंपरिक उत्साह के साथ पालकियों को नारायण मंदिर पहुंचाया गया। बस्तर के वनवासी ग्रामीण इन दिनों दंतेवाड़ा में फागुन मंडई के साथ आखेट नवरात्रि मना रहे हैं। शाम को अलग-अलग देवियों के नाम से डोली निकालकर जहां लोग इनकी आराधना कर रहे हैं, वहीं देर रात खरगोश से लेकर गौर तक के शिकार करने
इन सब के बीच मुख्य बात यह है कि ग्रामीणों द्वारा घेरे गये शिकार को मंदिर के पुजारी भी गोली मारने का अभिनय करते हैं।
आम तौर पर बस्तर के देवी उपासक चैत्र और शारदेय नवरात्रि में मां दंतेश्वरी की पूजा करते है। बस्तर के आदिवासी भी मां दंतेश्वरी को अपना आराध्य मानते हैं। परंतु पर्व विशेष पर इनकी उपासना नहीं किया करते थे। आखेट नवरात्रि के दौरान चार दिनों तक रात एक बजे से तड़के चार बजे के मध्य आखेट का प्रसंग सम्पन्न कराया जाता है। दशमी को लम्हामार, एकादशी को कोटरीमार, द्वादश को चीतलमार और त्रयोदशी को गंवरमार, गौर के शिकार का अभिनय किया जाता है। वन्यप्राणियों का अभिनय ग्राम कंवलनार के ग्रामीण ही परम्परानुसार करते आ रहे हैं। परम्परानुसार ग्रमीणों द्वारा घेरे गये खरगोश से लेकर गौर तक को गोली मारने का अभिनय मंदिर के प्रधान पुजारी करते हैं