भूपेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजना कहीं ‘हाईजैक’ न हो जाये, सख्त मॉनिटरिंग की जरूरत

छत्तीसगढ़ में गोबर खरीदी योजना सरकार की बहुत महत्वपूर्ण और जनता के हित की योजना बनी है, लेकिन इस योजना को जमीनी धरातल में अमलीजामा पहनाने में भारी मशक्कत करनी पड़ सकती,क्योंकि गोबर माफिया ने नोडल अधिकारी से मिलकर योजना को हाईजेक न कर लें। अब उसी के कहने पर गोबर बेचने वालों को भुगतान होगा। गौठान में पंजीकृत किसान और पशुपालक माफिया के ही लोग है जिनका पंजीयन हुआ है। ऐसे भी लोग है जिनके पास न पशु और गोसेवक है, फिर भी उनका नाम कैसे पंजीकृत हो गया, उसका भौतिक सत्यापन आज तक नहीं हो सका है। अब भुगतान होने जा रहा है। गोधन योजना ने छत्तीसगढ़ में गोबर माफिया भी पैदा कर दिया है, जो नोडल एजेंसी से लेकर गौठान में गोबर खरीदी के लिए सरकारी टेंडर में जबरन अधिक पैसे में गोबर की खरीदी के लिए सरकार को मजबूर कर दी है। नोडल एजेंसी के माध्यम से गोबर का संग्रहण करना और उसका वर्मी खाद बनाना तथा उसकी वजन की कमीबेशी का शॉर्टेज निकलना है कि कितनी मात्रा में गोबर है और कितनी मात्रा में मिट्टी मिली हुई है। किसान से गोबर आया वह वास्तविकता में कितनी मात्रा में है, ये मामले अभी जांच के विषय हो सकते है। गोबर की आवक और उसकी गुणवत्ता नापने का पैमाना सही नहीं किया है या कहे कि कोई मापदंड नहीं है। नोडल एजेंसी में कितने किसान पंजीकृत हुए इसका रिकार्ड सरकार के पास नहीं है। गांव में मवेशियों की संख्या कितनी है, उनसे कितना गोबर उत्पादन होगा, कौन-कौन पशुपालक और गोसेवक है। यह सभी कुछ नोडल अधिकारी को पंजीकृत करना है। लेकिन योजना को लागू हुए एक माह होने जा रहे है। पुख्ता रिकार्ड तैयार नहीं हो पाया है जिसका फायदा गोबर माफिया उठाएंगे। क्योंकि पहले गांव में एक ट्राली गोबर 15 सौ रुपए में मिल जाता था, उसे सरकार 6 हजार में खरीदेगी, जिसका सीधा फायदा गोबर माफिया उठाने के लिए सक्रिय हो गए है। गांव से उत्पादित सब्जी को मंडी तक लाने के लिए ट्राली नहीं मिल रही है। सारे ट्रैक्टर टाली को गोबर माफियाओं ने गोबर ढोने में लगा दिया है। गौठान में उपलब्ध पंजी में वास्तविक गो पालक और गौसेवक के नाम दर्ज है उसका भौतिक सत्यापन भी नहीं हुआ है। और पांच अगस्त को सरकार भुगतान करने वाली है। गौठान प्रबंधक और नोडल अधिकारी के भरोसे बिना भौतिक सत्यापन के खातेदारों के खाते में सीधे राशि ट्रांसफर होने से गोबर माफियाओं को पौ-बारह हो जाएंगे। ऐसे में सरकार जिन माध्यम से या नोडल अधिकारी के भरोसे गोबर खरीदने और उसके भुगतान करने से सरकार को करोड़ों रुपए नुकसान हो सकता है। गोबर खरीदी वास्तविकता का अमलीजामा पहनाने के लिए सरकार को कड़े कानून कायदे बनानी पड़ेगी। गोबर की क्वालिटी और उसका वजन मानक गुणवत्ता के अनुरूप है कि नहीं इसकी भी जांच जरूरी है। मान लो गोबर संग्रहण केंद्र में गोबर की खरीदी 10 टन हुई है, तो उसका भौतिक सत्यापन कौन और कब करेगा