धरती की तरफ आ रहे ये तीन विनाशकारी उल्कापिंड

आज से करीब 6.6 करोड़ साल पहले धरती पर एक ऐसी तबाही आई थी, जिसने दुनिया के करीब 80 फीसदी जीवों को खत्म कर दिया था, जिसमें डायनासोर भी शामिल थे। करीब 12 किलोमीटर में फैला एक विशालकाय उल्कापिंड धरती से आ टकराया था। इसकी वजह से धरती पर करीब 100 किलोमीटर चौड़ा और 30 किलोमीटर गहरा गड्ढा बन गया था। ऐसी ही एक नहीं बल्कि तीन-तीन तबाही एक बार फिर धरती के करीब आती नजर आ रही है। नासा समेत दुनियाभर के वैज्ञानिक उनपर अपनी नजरें गड़ाए हुए हैं। ये उल्कापिंड अगर धरती से टकरा गए तो एक बड़ी तबाही ला सकते हैं। इनमें से एक उल्कापिंड तो 24 जुलाई को यानी आज ही धरती के करीब से गुजरने वाला है। वैज्ञानिकों ने इसका नाम ‘एस्टेरॉयड 2020 एनडी’ रखा है।  वैज्ञानिकों के मुताबिक, ‘एस्टेरॉयड 2020 एनडी’ 170 मीटर लंबा है और इसकी गति 13.5 किलोमीटर प्रति सेकंड यानी 48,000 किलोमीटर प्रति घंटा है। यह धरती से करीब 50.86 लाख किलोमीटर की दूरी से गुजरेगा। वैसे तो किसी उल्कापिंड की गति के हिसाब से अंतरिक्ष में इतनी दूरी को कुछ ज्यादा नहीं माना जाता, लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि इससे पृथ्वी को किसी भी तरह का नुकसान नहीं होगा।  हालांकि ऐसा माना जा रहा है कि अगर ‘एस्टेरॉयड 2020 एनडी’ उल्कापिंड पृथ्वी से टकरा गया तो यह आधी दुनिया को खत्म कर सकता है। खगोल विज्ञान में इस तरह के उल्कापिंडों को ‘पोटेंशियली हैजड्रस’ यानी संभावित खतरनाक क्षुद्रग्रह कहा जाता है।   धरती के करीब आ रहे दूसरे उल्कापिंड का नाम वैज्ञानिकों ने 2016 DY 30 रखा है। यह धरती से करीब 34 लाख किलोमीटर की दूरी से गुजरेगा। यह धरती के सबसे करीब से गुजरने वाला उल्कापिंड है। करीब 15 फीट चौड़े इस उल्कापिंड की रफ्तार 54 हजार किलोमीटर प्रति घंटा है। इसके भी धरती से टकराने की आशंका लगभग ना के बराबर है, लेकिन अगर यह टकराता है तो इससे पृथ्वी पर भारी तबाही आ सकती है।  धरती के करीब से गुजरने वाले तीसरे उल्कापिंड को 2020 ME3 नाम से जाना जाता है। यह धरती से करीब 56 लाख किलोमीटर की दूरी से गुजरेगा। इसकी रफ्तार 16 हजार किलोमीटर प्रति घंटा है। इसके भी पृथ्वी से टकराने की आशंका कम ही है, लेकिन यह भी भारी तबाही लाने वाला उल्कापिंड है।  वैसे तो मंगल ग्रह और बृहस्पति ग्रह की कक्षा में बड़ी संख्या में उल्कापिंड पाए जाते हैं, लेकिन इनमें से बहुत कम ही पृथ्वी के करीब से गुजरते हैं। उनकी गति भले ही धरती के लिए विनाशकारी हों, लेकिन उनकी दूरी काफी ज्यादा रहती है। इसलिए उनके धरती से टकराने की आशंका कम ही रहती है।